कातरा कीट पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने जारी की सलाह

मौसम में नमी और बादलों के कारण खरीफ फसलों में कीट एवं रोगों की संभावना बढ़ा जाती है, ऐसे में फसलों को कीट बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों के लिए कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी किए है। ताकि फसलों को क्षति होने से बचाया जा सके। कृषि विभाग की माने तो फसलों का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि किसान समय - समय पर इन कीट और रोगों की पहचान करें ताकि समय रहते उन पर नियंत्रण पाया जा सके। इस कड़ी में कृषि विभाग, अजमेर ने खाद्यान्न और दलहनी फसलों पर कातरा कीट के प्रकोप होने की संभावना जताई है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक संजय तनेजा के अनुसार मानसून में बारिश होने पर कातरे के पतंगों का जमीन से निकलना शुरू हो जाता है। यदि पतंगों को समय रहते नष्ट कर दिया जाये तो फसलों में कातरे की लट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कातरा कीट शिशु अवस्था में ही पत्ती की निचली सतह को खुरेचते है। बाद में पत्तों के टूटे हुए धब्बे पतले पपीते के समान दिखाई देते है। पूरी तरह से विकसित लार्वा पूरे पत्ते, फूल और बढ़ते फलों को खा जाते हैं।
किसान ऐसे करें कातरा कीट पर पाएं नियंत्रण
कृषि अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि कातरा कीट नियंत्रण के उपाय की यांत्रिक विधि में अंडों को संग्रह कर तथा लार्वा को हाथ से चुनकर एवं लाइट ट्रैप का उपयोग करके वयस्क पतंगों को नष्ट किया जा सकता है। बंजर जमीन या चारागाह में उगे जंगली पौधों अथवा खरपतवारों से खेतों की फसलों में लट के आगमन को रोकने के लिए उनके गमन की दिशा में खाइयाँ खोदकर इनके प्रकोप को रोका जा सकता है।
इसी प्रकार रासायनिक विधि में कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर ईटीएल से अधिक होने पर रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। इनके पहले और दूसरे चरण के नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करना होता है। पानी की उपलब्धता होने पर क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 625 मिलीलीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव कर किसान कीट के प्रकोप से अपनी फसलों को बचा सकते है।
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