भारत के 292 जिलों में विभिन्न श्रेणियों के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 54 वस्तुओं पर हुआ शोध

Aug 1, 2025 - 08:07
Sep 3, 2025 - 13:28
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भारत के 292 जिलों में विभिन्न श्रेणियों के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 54 वस्तुओं पर हुआ शोध

फसल कटाई के बाद उपज से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए केन्द्र सरकार की पहल 

नई दिल्ली। राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि देश में फसलों की कटाई के बाद उपज में होने वाले नुकसान को लेकर नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अध्ययन कराया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कटाई के बाद होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। यह अध्ययन देश के 292 जिलों में विभिन्न श्रेणियों के 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों में 54 वस्तुओं पर कराया गया। 

   फसलों की कटाई के बाद विभिन्न कारणों से फसलों को बहुत अधिक नुक़सान होता है, जिसका असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है। ऐसे में फसल कटाई के बाद होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के आंकलन के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (नैबकॉन्स) के माध्यम से वर्ष 2020-22 में भारत में कृषि उपज के फसलोपरांत नुकसान का निर्धारण करने हेतु अध्ययन नामक एक अध्ययन शुरू किया था। इस अध्ययन में भारत के 292 जिलों में विभिन्न श्रेणियों के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 54 वस्तुओं के फसलोपरांत नुकसान का आकलन करने के लिए किया गया था। अध्ययन के माध्यम से इस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, प्रौद्योगिकी समावेशन और कौशल आवश्यकताओं में कमियों की पहचान की गई। अध्ययन में प्रमुख फसलों और वस्तुओं की कटाई के बाद होने वाली हानि के बारे में बताया गया है।

जाने कटाई के बाद फसलों को कितना नुकसान होता है?

नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि फसल कटाई के बाद अनाज फसलों में 3.89 से 5.92 प्रतिशत तक, दलहन फसलों में 5.65 से 6.74 प्रतिशत तक, तिलहन फसलों में 2.87 से 7.51 प्रतिशत तक, फल फसलों में 6.02 से 15.05 प्रतिशत तक, सब्जी फसलों में 4.87 से 11.61 प्रतिशत तक, बागान और मसाला फसलों में 1.29 से 7.33 प्रतिशत तक, दूध में 0.87 प्रतिशत तक, इनलैंड मछली पालन में 4.86 प्रतिशत तक, मरीन मछली पालन में 8.76 प्रतिशत तक, मांस उत्पादन में 2.34 प्रतिशत तक, कुक्कुट पालन में 5.63 प्रतिशत तक एवं अंडा 6.03 प्रतिशत तक का नुकसान होता है।

इन नुकसानों को कम करने के लिए ये योजनाएँ जा रहीं हैं चलाई 

कटाई के बाद नुकसान कम करने के लिए योजनाएँ

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्य सभा में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा कृषि मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रमुख योजनाएँ चलाई जा रही हैं। 

-समेकित बागवानी विकास मिशन में फलों और सब्जियों में अपव्यय को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज, राईपनिंग चैंबर और पैक हाउस सहित फसलोपरांत प्रबंधन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।

-एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में भंडारण, शीतगृहों और प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों सहित व्यवहार्य फसलोपरांत प्रबंधन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण प्रदान करता है।

-एग्रीकल्चर मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने और बाजार स्तर पर फसलोपरांत नुकसान को कम करने के लिए भंडारण और विपणन इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सहायता करती है।

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