सल्फर का महत्व और उसके प्रभाव

फसल के बेहतर उत्पादन के लिए मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का बहुत महत्व है। पोषक तत्वों की कमी होने पर न फसलों की पैदावार में कमी आती है साथ ही कई तरह के रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। इन पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक व बोरान आदि शामिल है। इनमें तिलहन फसलों के लिए सल्फर अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
देश में अभी तक संतुलित खाद-उर्वरकों के अंर्तगत केवल नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश के इस्तेमाल पर ही अधिक बल दिया गया है। जिसके कारण देश के अधिकांश स्थानों पर मिट्टी में 40 प्रतिशत तक सल्फर की कमी पाई गई है। आज के समय में किसानों के द्वारा सल्फर रहित उर्वरकों का उपयोग अधिक किया जा रहा है, जिससे देश की मिट्टी में सल्फर की कमी आई है।
सल्फर की कमी से गिरता है फसलों का उत्पादन
कृषि भूमि में कार्बनिक रूप की तुलना में अकार्बनिक सल्फर की सांद्रता कम होती है। सल्फर की कमी से फसलों की पैदावार घटती है। सल्फर की कमी से तिलहनी फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी 40 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। सल्फर की कमी से फसलों से प्राप्त बीजों में तेल की मात्रा भी कम होती है।
फसल उत्पादन में सल्फर का महत्व
सल्फर, क्लोरोफिल का अवयव नहीं है फिर भी यह इसके निर्माण में सहायता करता है। यह पौधे के हरे भाग की अच्छी वृद्धि करता है। यह सल्फरयुक्त अमीनों अम्ल, सिस्टाइन, सिस्टीन और मिथियोनीन तथा प्रोटीन संश्लेषण में आवश्यक है।
सरसों के पौधों की विशिष्ट गंध को यह प्रभावित करती है। तिलहनी फसलों के पोषण में सल्फर का विशेष महत्व है साथ ही बीजों में तेल बनने की प्रक्रिया में इस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। तिलहनी फसलों में तैलीय पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करता है। इसके उपयोग से बीज बनने की प्रक्रियाओं में तेजी आती है।
सल्फर की कमी की पहचान कैसे करें
मिट्टी में सल्फर की कमी से पौधों की बढ़ोतरी नहीं हो पाती और जड़ों का विकास भी बाधित होता है।
पौधों की नयी पत्तियों का रंग हल्का फीका व आकार में छोटा हो जाता है। पत्तियों के पीलेपन की वजह से पौधे पूरा आहार नहीं बना पाते, इससे उत्पादन में कमी आती है और तिलहन फसलों में तेल का प्रतिशत कम हो जाता है।
इसके अलावा जड़ों की वृद्धि कम हो जाती है साथ ही फसलों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है।
सल्फर की कमी को दूर करें किसान
उर्वरक के रूप में सल्फर का इस्तेमाल कम किया जाता है। जिसके कारण तिलहन फसलों की उत्पादकता में कमी आती है। किसान तिलहनी फसलों में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए सल्फर युक्त उर्वरकों का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा किसान खेत की मिट्टी की जाँच कराकर फसलों के लिए अनुशंसित उर्वरकों का छिड़काव करें।
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