कीट नियंत्रण के लिए किसान फसलों पर करें इनका छिड़काव

फसलों में लगने वाले कीटों व रोगों से छुटकारा पाने के लिए किसान जैविक और प्राकृतिक तरीका अपना सकते है। इन तरीकों को अपनाने से न केवल फसलों में लगने वाले कीटों का नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि गुणवत्ता युक्त उत्पाद भी प्राप्त किया जा सकेगा।
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक रस चूसक कीट, लीफ माइनर, छोटी इल्लियों के नियंत्रण के लिए किसानों को 5 किग्रा. नीम की हरी पत्तियों अथवा 5 किग्रा. सूखी निंबोली को पीसकर 100 लीटर पानी में मिलाना होगा। इसके साथ ही 5 लीटर गौमूत्र एवं देशी गाय का 1 किग्रा. गोबर मिला लें व लकड़ी से घोलकर ढककर रख दें। दिन में 2-3 बार घोल को चलाएं। 48 घंटे बाद कपड़े से छानकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इससे उन्हें लाभ मिलेगा। इसके अलावा ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल बड़ी इल्लियों व सुंडियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। इसे बनाने के लिए किसानों को 10 लीटर गौमूत्र में 3 किग्रा. नीम की पत्ती, 2 किग्रा करंज की पत्ती, 2 किग्रा सीताफल के पत्ते, 2 किग्रा सफेद धतूरे के पत्ते पीसकर डालना होगा। इन सभी को गौमूत्र में घोलें व ढककर उबालें। 3-4 उबाल आने के बाद रख दें व 48 घण्टे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। वहीं आग्नेयास्त्र का इस्तेमाल पेड़ के तनों व डंठलों में रहने वाले कीड़ों, सुण्डियों व इल्लियों पर नियंत्रण के लिए किया जाता है। इसको बनाने के लिए किसान 10 लीटर गौमूत्र में 500 ग्राम हरी मिर्च, 500 ग्राम लहसुन, 5 किग्रा नीम के पत्ते पीसकर डालें। लकड़ी के डण्डे से घोलें व उबालें, 4-5 उबाल आने पर उसे रख दें व 48 घण्टे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार पंचगव्य गाय के गोबर, घी और गुड़ को पूरी तरह मिलाकर एक घड़े में रखें और शेष सभी सामग्री को एक-एक कर मिला दें। 3 लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़कें। वहीं दशपर्णी अर्क का उपयोग बड़ी सुण्डियों व इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। इसको बनाने के लिए किसान गोबर-गौमूत्र को पानी में घोलकर 2 घंटे के लिए रख दें। हल्दी का पाउडर, अदरक की चटनी व हींग के पाउडर को अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए छाया में रखें। इस मिश्रण को हिलाकर, सोंठ पाउडर, तम्बाकू का पाउडर, तीखी मिर्च व देशी लहसुन अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए रख दें। पौधों के पत्तों को इस मिश्रण में दबा दें। मिश्रण को बोरी से ढककर 30-40 दिन के लिए रख दें व इसे सुबह-शाम घोलें। 6-8 लीटर अर्क को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। इन सभी विधियों से तैयार की गई दवाओं के इस्तेमाल के कीटों व रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है साथ फसल की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।
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