कपास की फसलों के लिए संकट बने हरा तेला

Aug 4, 2025 - 17:56
 0  0
कपास की फसलों के लिए संकट बने हरा तेला

समय रहते नियंत्रण न किया गया तो हो सकता है बड़ा नुकसान

उत्तर भारत के कई जिलों में हरा तेला (हरे लीफहॉपर) ने कपास की फसलों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। यह मामला हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कुछ जिलों में दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (एसएबीसी) जोधपुर की ओर से कराए गए एक सर्वे में सामने आया है। डॉ. दिलीप मोंगा, डॉ. भागीरथ चौधरी, डॉ. नरेश, दीपक जाखड़ और केएस भारद्वाज के नेतृत्व वाली फील्ड टीम ने प्रति पत्ती 12-15 लीफहॉपर के संक्रमण की सूचना दी, जो आर्थिक सीमा स्तर से काफी ऊपर है। सर्वे में पता चला कि केवल प्रति पत्ती लीफहॉपर की खतरनाक संख्या की सूचना मिली है, जबकि ग्रेडिंग प्रणाली के आधार पर कपास के पत्तों को होने वाला नुकसान भी ईटीएल से अधिक था। 

यह है मुख्य लक्षण

 हरे लीफ़हॉपर की आबादी ईटीएल से अधिक होने से पत्तियों में किनारों पर पीलापन और नीचे की ओर मुड़ाव देखा जा रहा है, जो हरे लीफ़हॉपर के हमले की विशेष पहचान हैं। 

यह होती है इनकी पहचान

लीफहॉपर को कपास का मौसम भर चूसने वाला कीट कहा जाता है। लीफहॉपर का रंग हल्का हरा होता है और लंबाई लगभग 3.5 मिमी होती है। इनके अगले पंखों और माथे पर दो स्पष्ट काले धब्बे होते हैं, जो पत्तियों पर इनकी खास तिरछी गति से चलने के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं, इसलिए इन्हें 'लीफहॉपर' कहा जाता है।

फसलों का ऐसे होता है नुकसान

लीफहॉपर कपास के ऊतकों से कोशिका रस चूसते हैं और जहर फैलाते हैं। इसके प्रभाव से पत्तियों का पीला पड़ना, भूरा पड़ना और सूखना आदि शामिल है। इसके प्रभाव से कपास की उत्पादकता पर ज्यादा असर पड़ता है। यदि समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो उपज में 30 फीसदी तक की क्षति होना संभव है। यह कीट बैंगन, कोको, मिर्च, आलू और अन्य फसलों को भी प्रभावित करता है।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
Awadhi Kisan A Former Magazine