अम्बेडकर नगर: चहेते सचिव को बचाने में जुटा महकमा , जांच पर जांच, कार्रवाई ठंडी
अम्बेडकरनगर, अचल वार्ता। जिले के सहकारी विभाग में इन दिनों बड़ा खेल चल रहा है। किसानों से जुड़ी शिकायतें मुख्यमंत्री पोर्टल, प्रधानमंत्री पोर्टल और अन्य माध्यमों पर लगातार पहुंच रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच की फ़ाइलों का ढेर खड़ा किया जा रहा है। मामला बी-पैक्स प्रतापपुर चमुर्खा समिति के सचिव दुर्गा पांडेय से जुड़ा है, जिन पर खाद वितरण में भारी अनियमितताओं के आरोप साबित हो चुके हैं।
जांच में बड़ा खेल उजागर
जिला कृषि अधिकारी की 28 जुलाई की जांच में पाया गया कि: पीओएस मशीन में 81 बोरा यूरिया व 73 बोरा डीएपी दर्ज था। लेकिन भौतिक जांच में 588 बोरा यूरिया व 85 बोरा डीएपी मौजूद मिले।
यही नहीं, किसानों से पूछताछ में भी गड़बड़ियां सामने आईं। किसान ओमप्रकाश ने बताया कि उन्होंने सिर्फ 1 बोरी डीएपी ली, जबकि रिकॉर्ड में 1 बोरी डीएपी + 4 बोरी यूरिया चढ़ा दी गई। किसान रणधीर ने कहा उन्होंने 1 बोरी डीएपी ली, जबकि पीओएस मशीन में 2 डीएपी + 3 यूरिया दर्शा दिया गया। इतनी बड़ी अनियमितता के बाद जिला कृषि अधिकारी ने समिति का लाइसेंस निरस्त कर दिया और सचिव से जवाब मांगा। लेकिन स्पष्ट जवाब न मिलने के बावजूद, 4 अगस्त को लाइसेंस बहाल कर दिया गया।
सचिव को बचाने का खेल
किसानों की शिकायतें बढ़ने पर दोबारा खाद वितरण शुरू हुआ। आरोप है कि सचिव ने रात 8 बजे तक प्राइवेट कर्मचारी बैठाकर खाद बंटवाया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ। किसानों से 266.50 रुपये की खाद के बदले 270–280 रुपये वसूले गए।
पल्लेदारी के नाम पर 5 रुपये अतिरिक्त लिए गए
जिला कृषि अधिकारी ने दोबारा एफआईआर कराने व कार्रवाई का आदेश दिया, लेकिन सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता (एआर कोऑपरेटिव) राघवेंद्र शुक्ला ने कोई कार्रवाई न करके उल्टे सचिव के बचाव में नई जांच टीम गठित कर दी।
रात की काली कमाई और ऊपर तक पहुंच
सूत्रों के अनुसार सचिव रात में किसानों के नाम पर अतिरिक्त खारिज खाद प्राइवेट दुकानदारों को मोटे दामों पर बेच देता था। इसी कमाई का हिस्सा ऊपर तक पहुंचता था, यही कारण है कि विभाग में वह “चहेता सचिव” बना हुआ है। यही नहीं, इस सचिव को एक नहीं बल्कि तीन समितियों का चार्ज दिया गया। प्रतापपुर चमुर्खा
सिंहपुर समिति (बसखारी, जो 50 किमी दूर है)
एक अन्य समिति
सवाल यह उठ रहा है कि 50 किलोमीटर दूर सिंहपुर समिति का चार्ज दुर्गा पांडेय को क्यों दिया गया? क्या वहां कोई और सचिव मौजूद नहीं था?
सूत्रों का दावा है कि दुर्गा पांडेय ने सिंहपुर समिति का चार्ज अपने किसी रिश्तेदार की नियुक्ति कराने के लिए लिया है।
आगे खुलासा होगा “भांजे की नियुक्ति” का खेल
सूत्र बताते हैं कि समिति में “भांजे की नियुक्ति” का पूरा खेल भी चल रहा है। यह खुलासा अगले अंक में…
सवाल अब सीधे जिलाधिकारी से – आखिर क्यों जांच के बाद भी कार्रवाई ठंडी पड़ी है? और कब तक “चहेते सचिव” को विभाग बचाता रहेगा?
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