मिर्च के तीखेपन में आ रही गिरावट, मक्का व अन्य फसलों वरीयता दे रहे किसान

Aug 4, 2025 - 17:34
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मिर्च के तीखेपन में आ रही गिरावट, मक्का व अन्य फसलों वरीयता दे रहे किसान

देश के किसानों का लाल मिर्च की खेती के प्रति मोह भंग होता दिखाई दे रहा है, जबकि इसके विपरीत धान और दलहनी फसलों का रकबा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कीमतों में आई गिरावट के कारण ही मिर्च की खेती के प्रति किसानों की रुचि कम हुई है। हालांकि कुछ राज्यों के क्षेत्रों में किसान मक्का, कपास व मूंग आदि को वरीयता दे रहे हैं।  

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार गुंटूर स्थित मिर्च निर्यातक संघ के अध्यक्ष संबाशिव राव वेलागपुडी के हवाले से लिखा गया है कि इस साल मिर्च का रकबा कम होगा। अभी तो यह सिर्फ 20 फीसदी कम है लेकिन अगस्त के मध्य तक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मिर्च के विकल्प के तौर पर किसान कपास की खेती करते हैं, पर इस वर्ष मक्का एक विकल्प के रूप में उभरा है। पिछले साल के बढ़े उत्पादन और लगभग 2.2 करोड़ बोरी के कैरीफॉवर्ड स्‍टॉक के बीच मांग की कमी होने से इसकी कीमतों पर असर पड़ रहा है। उनका कहना है कि आंध्र प्रदेश में कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक करीब 1 करोड़ बोरी, तेलंगाना में लगभग 50-55 लाख बोरी और कर्नाटक में लगभग 70 लाख बोरी होने का अंदेशा है। जबकि

बिगहाट एग्रो प्रा. लि. के महाप्रबंधक संदीप वोड्डेपल्ली ने कहा कि मिर्च क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। इसका प्रमुख कारण उत्पादक राज्यों में बीज की बिक्री और खेती में भारी गिरावट का होना है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मिर्च की खेती में 35-40 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है। उन्होंने ने कहा कि जुलाई के अंत तक, कोल्‍ड स्‍टोरेज में मिर्च का स्टॉक 2.5 करोड़ बैग (90 करोड़ किलोग्राम) था, जो पिछले साल की इसी अवधि के 1.5 करोड़ बैग (50 करोड़ किलोग्राम) से अधिक है। वहीं हुबली स्थित हम्पाली ट्रेडर्स के बसवराज हम्पाली ने कहा कि कर्नाटक में रकबा 20-25 प्रतिशत कम हो सकता है. राज्‍य में ब्यादगी मिर्च उगाने वाले किसानों का एक वर्ग मूंग और मक्का की खेती करने लगा है. उन्होंने कहा कि मूंग और मक्के की कीमतें ब्याडगी मिर्च की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर हैं।बब्यादगी मिर्च और 5531 जैसी हाइब्रिड किस्में अपने गहरे रंग और कम तीखेपन के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी कीमतों में इस वर्ष लगभग 25-30 फीसदी कि गिरावट आई है जबकि मध्यम तीखेपन वाली किस्मों 341 और तेज़ तीखेपन वाली तेजा किस्मों की कीमतों में 10-20 फीसदी की गिरावट आई है।

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