अधिक उत्पादन के लिए ऐसे करें खाद-उर्वरक का छिड़काव

Aug 2, 2025 - 10:27
Sep 3, 2025 - 13:33
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अधिक उत्पादन के लिए ऐसे करें खाद-उर्वरक का छिड़काव

फसल उत्पादन के लिए किसान यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं, पर इन उर्वरकों का लाभ तब ही मिलता सकता है, जब इनका उपयोग सही समय और संतुलित मात्रा में किया जाए तो बेहतर होता है। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से किए गए प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि खेतों से अधिकतम उत्पादन लेने के लिये उर्वरकों के संतुलित व समन्वित इस्तेमाल की आवश्यकता होती है न कि उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल की।

कृषि वैज्ञानिकों किनार से किए गए प्रयोगों के अनुसार एक ही तरह के खाद-उर्वरकों का उपयोग करने से फसलों को उचित पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिये किसानों को मिट्टी की प्रकृति को ध्यान में रखकर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये। ऐसा करके किसान उर्वरकों की खपत काफी कम कर सकते हैं और अपना आर्थिक बोझ भी कम कर सकते हैं।

खाद-उर्वरक के इस्तेमाल से पहले जान यह बातें

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसलों में उर्वरकों के उपयोग से पहले यह जानना जरूरी है कि मिट्टी की प्रकृति कैसी है। ये इसलिए जरूरी है कि जब भूमि में उर्वरकों का उपयोग किया जाता है तब उसका एक बड़ा भाग मिट्टी की निचली सतह में बहकर चला जाता है, जो फसल के लिए उपयोगी नहीं हो पाता। बलुई या हल्की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का रिसाव चिकनी मिट्टी की अपेक्षा अधिक होता है। ऐसे हल्की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, अन्यथा फसलों को जरूरत के अनुसार उर्वरक नहीं मिलेंगे। इसका उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

कब एवं कैसे करें खाद-उर्वरक का छिड़काव

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार उर्वरकों को हमेशा पौधों की जड़ों के आसपास देना चाहिये। नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फसल की जरूरत के अनुसार दो या तीन बार में देना चाहिये। उर्वरक देते समय नमी का होना भी जरूरी है। तभी पौधों की जड़ें पोषक तत्व ग्रहण करती हैं। खड़ी फसलों में उर्वरकों का प्रयोग पानी में घोलकर करना चाहिये। 

जैविक खादों जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट अथवा हरी खाद के प्रयोग से भी रासायनिक उर्वरकों की खपत कम की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि फसलों को जितने पानी की आवश्यकता हो उतनी ही सिंचाई करनी चाहिए। ऐसा करने से उर्वरक पानी के साथ रिसकर जमीन में नीचे बह जाते हैं।

खड़ी फसल में उर्वरकों का प्रयोग तब ही करना चाहिये जब खेत पांव सहन करने लगें। साथ ही खरपतवारों को निकालकर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये अन्यथा वे भी उर्वरकों से पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं और उत्पादन क्षमता घट जाती है। उर्वरकों का उपयोग मृदा के पीएच मान के आधार पर ही करना चाहिये, क्योंकि सभी उर्वरक हर प्रकार की जमीन में उपयुक्त नहीं होते।

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