जैविक और प्राकृतिक खेती के महत्व

रासायनिक खेती के कारण भूमि की बढ़ती विषाक्तता को कम करने व लोगों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के की मंशा को ध्यान में रखते हुए सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने जुटी है। हालांकि यह कोई नई तकनीक नहीं है, इसे विधि को किसान सदियों से अपनाते आएं है। हां यह जरूर है कि समय के सकते दौर और जरूरत के अनुरूप इसकी उपयोगिता कमी जरूरी आई थी जिसके कारण आज के लोग इस विधि को भूल सा गए हैं। यही कारण है कि सरकार ने फिर से जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर रही है।
तो आइए जातने है जैविक और प्राकृतिक खेती के बारे में....
जैविक खेती - यह फसल उत्पादन की वह पद्धति है, जिसमें जैविक कार्बनिक खाद, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशी, जैव रोगनाशी आदि जैविक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के साथ-साथ-फसलों का उत्पादन बढ़ाना है साथ ही जैविक खेती से फसल उत्पादन की लागत कम होती है। इस प्रकार की खेती में रासायनिक खाद और रासायनिक दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता है। जैविक विधि से की गई खेती से भूमि की उर्वरता शक्ति बढ़ती है। साथ ही इसके अनेकों लाभ है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के अनुसार जैविक खेती एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें सभी संश्लेषित आदानों जैसे रासायनिक खाद, कीटनाशी, हार्मोन्स आदि के प्रयोग को नकारते हुए केवल फ़सल चक्र, फसल अवशिष्ट, अन्य जैविक आदान, खनिज आदान तथा जीवाणु खादों के प्रयोग से फसल उत्पादन किया जाता है।
विश्व खाद्य संगठन के अनुसार जैविक खेती एक ऐसी अनूठी कृषि प्रबंधन प्रक्रिया है, जो कृषि वातावरण का स्वास्थ्य, जैव विविधता, जैविक चक्र तथा मिट्टी की जैविक प्रणालियों का संरक्षण व पोषण करते हुए उत्पादन सुनिश्चित करती है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक आदानों के उपयोग के लिए कोई स्थान नहीं हैं।
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