देश में 47 प्रतिशत काम कृषि मशीनों पर निर्भर

उत्पादन बढ़ाने के साथ किसानों की आमदनी को दुगुनी करने में आधुनिक मशीनों का अहम योगदान है, जिसका लाभ हर किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार उठा रहा है। यही कारण है कि सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। देश में कृषि मशीनीकरण के स्तर को लेकर लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने बताया कि अभी देश में औसत मशीनीकरण का स्तर 47 प्रतिशत है।
कृषि राज्य मंत्री के अनुसार खेती किसानी के कामों में औसतन 47 प्रतिशत काम कृषि मशीनों से किया जा रहा है। इसमें सबसे अधिक 70 प्रतिशत कृषि मशीनरी का उपयोग खेती के लिए सीड-बेड तैयार करने में हो रहा है। वहीं सबसे कम किसान कृषि मशीनरी का उपयोग फसलों की निराई और इंटर कल्चर के लिए कर रहे हैं जो कुल मशीनीकरण का 32 प्रतिशत है।
सीड-बेड तैयार करने में हो रहा सबसे अधिक मशीनों का उपयोग
कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि विभिन्न राज्यों के किसानों की ओर से मशीनीकरण को अपनाना सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, उगाई जाने वाली फसलों, सिंचाई सुविधाओं पर निर्भर करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वर्ष 2020-21 के अनुमानों के अनुसार देश में विभिन्न फसलों में संचालन-वार औसत मशीनीकरण का स्तर अलग-अलग है। उन्होंने बताया कि फसलों में संचालन-वार औसत मशीनीकरण का स्तर सीड बेड तैयार करने के लिए 70 प्रतिशत, बुआई/रोपाई/ रोपण के लिए 40 प्रतिशत, निराई और इंटर कल्चर के लिए 32 प्रतिशत और कटाई एवं थ्रेसिंग के लिए 34 प्रतिशत है। जिसके चलते कुल मशीनीकरण का स्तर 47 प्रतिशत है। कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति (वर्ष 2022-23) ने देश में छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण में अनुसंधान और विकास विषय पर अपनी 58वीं रिपोर्ट में वर्ष 2047 तक 75 प्रतिशत मशीनीकरण स्तर प्राप्त करने पर बल दिया।
कस्टम हायरिंग सेंटर को दिया जा रहा है बढ़ावा
समाज के सभी वर्गों के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने पर सरकार का है। ताकि छोटे सीमांत किसानों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच हो सके।
कृषि मशीनीकरण के लिए दिया जा रहा अनुदान
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से राज्य सरकारों के जरिए से वर्ष 2014-15 से एक केंद्र प्रायोजित योजना “कृषि मशीनीकरण उप-मिशन” लागू की गई है। इसके तहत किसानों को व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर कृषि मशीनों और उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसानों को उनके आवश्यकताओं के अनुसार किराए के आधार पर मशीनों और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र और ग्राम स्तरीय कृषि मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए भी वित्तीय सहायता यानि की अनुदान दिया जाता है
वहीं वायु प्रदूषण को दूर करने और फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए वर्ष 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन योजना लागू की गई है। सरकार ने कृषि उद्देश्य के लिए किसानों को किराए पर सेवाएँ प्रदान करने के लिए वर्ष 2023-24 से 2025-26 की अवधि के दौरान महिला स्व सहायता समूहों को 15,000 ड्रोन प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्रक योजना के रूम में “नमो ड्रोन दीदी” योजना को मंजूरी दी है।
कृषि मशीनीकरण में होने वाली चुनौतियां
कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (वर्ष 2018-19) के प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों के माध्यम से उभरकर आई कृषि मशीनीकरण के स्तर को बढ़ाने की कुछ प्रमुख चुनौतियां जिसमें छोटी और खण्डित भूमि जोत, पहाड़ी इलाके और विविध मिट्टी की स्थिति, विविध कृषि जलवायु परिस्थितियाँ और फसल पैटर्न, मशीनों की उच्च लागत आदि है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पहले ही आईसीएआर को वर्ष 2024-25 में “भारत में कृषि मशीनीकरण और कस्टम हायरिंग की स्थिति का आंकलन” पर एक अध्ययन सौंपा है।
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