सेब कारोबार में 1500 करोड़ की गिरावट

ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हिमाचल प्रदेश के प्रमुख सेब उद्योग पर गहराता जा रहा है। पिछले डेढ़ दशक में राज्य के सेब कारोबार में 1,500 करोड़ रुपये की गिरावट आई है। इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार कारोबार 3,500 करोड़ रुपये तक ही सीमित रहेगा।
एक सेब कार्टन को तैयार करने और मंडी तक पहुंचाने में करीब 800 रुपये का खर्च आता है, जबकि इसकी तुलना में बाजार भाव में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही। इस कारण बागवानों की आय में भी गिरावट आई है। प्रदेश में कुल 2.38 लाख हेक्टेयर में फलों की खेती होती है, जिसमें 1.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब का उत्पादन होता है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु तकनीकी केंद्र के सलाहकार डॉ. सौम्य दत्ता की मानें तो ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हिमालयी क्षेत्र में ज्यादा हुआ है। प्रगतिशील बागवान कुलदीप कांत शर्मा का कहना है कि अब विदेशों से हाई कलर रेड डिलीशियस किस्में मंगवानी पड़ रही हैं, लेकिन ये स्वाद और उत्पादन में पारंपरिक रॉयल डिलीशियस का मुकाबला नहीं कर पा रही हैं।
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