Uttar Pradesh : बाजरे की संकर किस्मों पर मिलेगा अनुदान

Jul 29, 2025 - 13:21
Sep 3, 2025 - 13:24
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Uttar Pradesh :    बाजरे की संकर किस्मों पर मिलेगा अनुदान
  • बाजरे की खेती से धान की अपेक्षा कम लागत पर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं किसान

बारिश के अभाव में धान की खेती न कर पाने वाले किसान बाजरे की खेती कर सकते है, इसके लिए कृषि विभाग किसानों को बाजरे की संकर किस्मों पर अनुदान उपलब्ध करा रहा है।

           कृषि विभाग के अनुसार बाजरा की खेती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है। विभाग के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में लगभग 29 जनपदों में औसत से कम बारिश हुई है, जिसके कारण धान की खेती न के बराबर की जा सकती है। ऐसे में धान के सापेक्ष उन क्षेत्रों में बाजरा की खेती करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है। विभाग के अनुसार बाजरे की फसल 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसे किसान 10 नवंबर तक काट सकते है और रबी सीजन की फसल भी समय पर ले सकते है।

   विभाग के मुताबिक बाजरा की फसल 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। वहीं धान की अपेक्षा कम लागत पर अधिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। बाजरा की संकर प्रजाति 8684, बायो- 8145, एनबीएच-5929 के साथ संकुल प्रजाति धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।किसानों को बाजरा के बीजों पर मिलेगा अनुदानउत्तर प्रदेश का काफ़ी क्षेत्रफल असमतल एवं कम वर्षा आधारित होने के कारण धान की खेती हेतु उपयुक्त नहीं होते हैं। ऐसी भूमि में भी बाजरे की खेती कर किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन बुआई से पहले भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा, हारजीनम 2 प्रतिशत पाउडर का 2.50 किलोग्राम की मात्रा से शोधन करना आवश्यक होता है।

   किसान राजकीय कृषि  बीज  भंडारों के माध्यम से बाजरे की संकर प्रजाति के बीज अनुदान पर ले सकते हैं। जिससे किसानों की लागत और कम हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से बाजरे की खरीद न्यूनतम समर्थन पर की जा रही है जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। जिसको देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि किसान खरीफ के मौसम में भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती पर सरकारी योजनाओं के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

बाजरे के दाने में होती है अधिक पौष्टिकता
बाजरा श्री अन्न की प्रमुख फसल है। उत्तर प्रदेश में धान गेहूं और मक्का के बाद लगभग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है। बाजरा के दानों में भरपूर पौष्टिकता होती है। विशेष रूप से फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, बीकाम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस एवं मैगनीज तत्वों के साथ एंटीऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। इससे बाजार में इसकी मांग है। बाजरा के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं।

   बाजरा का उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण, हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त ग्लूटेन की मात्रा कम पाए जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक शोध एवं तकनीकी विकास के कारण बाजरे के दानों में कई प्रकार की औषधियों का भी निर्माण किया जा रहा है। योगी सरकार इन्हीं गुणों को देखते हुए बाजरा (श्री अन्न) किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।

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