Animal Husbandry: बकरियों की ये 10 नस्लें कर सकती हैं आपको मालामाल, जलवायु परिवर्तन से लड़ने में दमदार, जानें और क्या है खासियत

बकरी का दूध भैंस और गाय के मुकाबले न केवल बेहतर माना जाता है, बल्कि इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। बकरी के मांस की मांग भी लगातार बढ़ रही है। भारत में बकरियों की कई दमदार नस्लें पाई जाती हैं, जो दूध और मांस उत्पादन के मामले में बेजोड़ मानी जाती हैं। बकरियों की ऐसी ही 10 खास नस्लों के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी सामना कर सकती हैं।
भारत में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। किसानों में बकरी पालन तेजी से बढ़ता रोजगार का जरिया बन रहा है। देश में गरीब किसान भी कम क्षेत्र में आसानी से बकरी पालन कर सकते हैं। यह एक पारंपरिक व्यवसाय है, जो आज आधुनिक डेयरी और पशुपालन के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में भारत में करीब 37 पंजीकृत बकरी नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ नस्लें अपने दूध उत्पादन, मांस गुणवत्ता, प्रजनन क्षमता, और जलवायु अनुकूलन के कारण राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हैं। ऐसी ही 10 नस्लों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो मुनाफे का सौदा हैं...
जमुनापारी- दूध देने वाली सबसे बड़ी नस्ल
Jamunapari: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की यह नस्ल 'तोतापरी' के नाम से भी जानी जाती है। इसका वजन नर में 60-85 किलोग्राम और मादा में 45-60 किलोग्राम तक होता है। इसकी विशिष्टता इसकी रोमन नाक और लंबे लटकते कान हैं। यह दिन में 2.25 से 2.75 लीटर दूध देती है। यह क्रॉस ब्रीडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
बारबरी- देश की सबसे छोटी लेकिन उपयोगी नस्ल
Barbary: यह नस्ल उत्तर प्रदेश और पंजाब में लोकप्रिय है। इसका छोटा शरीर और सुंदर रंग इसे पहचान देता है। दूध उत्पादन की बात करें तो यह दिन में करीब 1.5 लीटर दूध देती है। यह नस्ल शहरी बकरी पालन के लिए उपयुक्त है।
सिरोही- राजस्थान की शुष्क जलवायु की अनुकूल नस्ल
Sirohi: मांस उत्पादन के लिए आदर्श मानी जाने वाली सिरोही नस्ल गर्मी और सूखे के अनुकूल है। दूध उत्पादन में यह दिन में केवल 0.75-1 लीटर दूध देती है। 90% मामलों में एक यह बच्चा, कभी-कभी जुड़वां बच्चों को जन्म देती है।
जखराना- राजस्थान की डेयरी क्वीन
jakhrana: अलवर जिले के जखराना गांव से उत्पन्न इस नस्ल को दूध उत्पादन में जमुनापारी की टक्कर की माना जाता है। यह दिन में 2-3 लीटर दूध देती है। प्रजनन अवधि 180-200 दिन होती है।
सुरती- गुजरात की लुप्तप्राय लेकिन श्रेष्ठ नस्ल
Surati: सफेद रंग और बड़े शंक्वाकार थनों वाली सुरती नस्ल अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। यह दूध उत्पादन में अच्छी मानी जाती है और दिन में 2-2.5 लीटर दूध देती है। जुड़वां और तिगड़ा बच्चों की अधिक संभावना होती है।
मेहसाणा- दूध और बालों के लिए प्रसिद्ध
Mehsana: मेहसाणा नस्ल गुजरात की बहुउपयोगी नस्लों में से एक है। इसके झबरे बाल और अच्छे थन इसे विशिष्ट बनाते हैं। यह दिन में 1-2 लीटर दूध देती है।
बीटल- पंजाब की डेयरी स्टार
Beetle: बीटल नस्ल आकार में भले ही जमुनापारी से छोटी है, लेकिन दूध उत्पादन और बाजार मूल्य के हिसाब से बहुत उपयोगी है। बीटल नस्ल की बकरी दिन में 1 से 2 लीटर तक दूध देती है। यह भारत की महंगी नस्लों में से एक है।
मालाबारी- केरल की बहुउपयोगी नस्ल
Malabari: कोझिकोड और कन्नूर जिलों में पाई जाने वाली यह नस्ल मांस, खाल और दूध तीनों के लिए मशहूर है। इससे दिन में 1 से 2 लीटर दूध उत्पादन होता है। यह एक बार में 2-3 बच्चों को जन्म देती है।
उस्मानाबादी- महाराष्ट्र की दोहरे उपयोग की नस्ल
Osmanabadi: उस्मानाबाद जिले की यह नस्ल दूध और मांस दोनों के लिए आदर्श है। दूध उत्पादन में यह दिन में 3.5 लीटर तक दूध देती है। इसकी प्रजनन आयु 18-20 महीने होती है।
काली बंगाल- पूरब की मजबूत नस्ल
Black Bengal: यह नस्ल पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में पाई जाती है। छोटे आकार की यह नस्ल अधिक संतान पैदा करने और मांस की गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। 90 से 120 दिनों में इसका मांस 50-60 किग्रा होता है। यह 8-10 महीने में प्रजनन करती है और एक बार में 2-4 बच्चों को जन्म देती है।
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