किसानों को अब मिलेंगे आलू के गुणवत्ता युक्त बीज, हुआ समझौता

Aug 1, 2025 - 08:00
Aug 2, 2025 - 06:59
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किसानों को अब मिलेंगे आलू के गुणवत्ता युक्त बीज,  हुआ समझौता

नई दिल्ली। किसानों को आलू के गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र और हरियाणा के बागवानी विभाग के बीच समझौता हुआ है। जिससे किसानों को जलवायु के अनुकूल व रोगप्रतिरोधी बीज मिल सकेंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश व झारखंड जैसे अन्य राज्यों तक बीज की आपूर्ति की जाएगी।

   किसानों की आमदनी और फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए गुणवत्ता युक्त नई किस्मों के बीजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में किसानों को उत्कृष्ट गुणवत्ता युक्त आलू के बीज उपलब्ध कराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र और हरियाणा के बागवानी विभाग के बीच समझौता किया गया है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा की उपस्थिति में 29 को बागवानी विभाग और अंतरराष्ट्रीय आलू केन्द्र के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं इस समझौता का मुख्य उद्देश्य दक्षिणी हरियाणा में उच्च गुणवत्ता वाले आलू बीज़ का उत्पादन बढ़ाना है।कृषि मंत्री ने बताया कि एमओयू राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत प्रस्तावित है। इसके तहत वर्ष 2025–26 में 4.48 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार से अनुमोदित की जा चुकी है, तथा कुल ₹18.70 करोड़ की परियोजना 4 वर्षों की अवधि में क्रियान्वित की जाएगी। एमओयू का उद्देश्य हरियाणा के दक्षिणी जिलों जैसे दादरी, भिवानी, महेंद्रगढ़ एवं रेवाड़ी में आलू का ‘एरली जेनेरेशन सीड’ का उत्पादन कर किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला व रोगमुक्त बीज उपलब्ध कराना है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और हरियाणा आलू बीज उत्पादक राज्य के रूप में उभर सकेगा। उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग द्वारा करनाल के शामगढ़ में स्थापित पो्टेटो टेक्नोलॉजी सेंटर को इस परियोजना का क्रियान्वयन केंद्र बनाया गया है। जहाँ एआरसी तकनीक, एरोपोनिक्स यूनिट्स और कंट्रोल्ड क्लाइमेट फैसिलिटीज जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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कृषि मंत्री ने बताया अंतरराष्ट्रीय आलू केन्द्र और हरियाणा सरकार के बीच यह समझौता किसानों के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। यह परियोजना राज्य के दक्षिणी जिलों में आलू बीज उत्पादन को नई दिशा देगी, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता का रोगमुक्त बीज उपलब्ध हो सकेगा। इस परियोजना से न केवल हरियाणा आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों को भी गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे किसानों की आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश व झारखंड जैसे अन्य राज्यों तक बीज की आपूर्ति की भी संभावना बढ़ेगी।

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