खेती की नई तकनीकों से रूबरू हो रहे किसान, अधिकारी दे रहे जानकारी

किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें, इसके लिए कृषि विभाग उन्हें खेती की नई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसी क्रम में कृषि विभाग एवं बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया जबलपुर की ओर से सोयाबीन की फसल को बढ़ाया देने के उद्देश्य से नई उन्नत तकनीकों का प्रचार प्रसार कर रहा है।
इस कड़ी में कृषि विभाग के अधिकारी 18 जुलाई को जबलपुर विकासखंड के ढाना और सालीवाड़ा गांवों पहुंचे और किसानों के खेत में सोयाबीन की फसल का जायजा लिया। उन्होंने किसानों को हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी।
किसान शैलेन्द्र कुमार जैन और कृष्ण कुमार गौड़ के खेत में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारियों के दिशा निर्देशन में पिछले महीने पराली प्रबंधन के साथ सोयाबीन जेएस-208 की बोनी की गई थी। अब पौध बढ़वार की स्थिति में है। कृषि वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों को किसानों ने बताया कि हैप्पी सीडर अथवा सुपर सीडर से बोनी करने से नरवाई ने खेत में मल्च का काम किया है और यह वर्तमान बारिश के पानी से धीरे-धीरे सड़कर खाद में बदल गई है। इससे खेत तैयार करने में लगने वाली लागत एवं एक सिंचाई के साथ-साथ समय की भी बचत भी हुई है।
कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारियों ने किसानों को बताया कि इस वर्ष ग्राम मंगेला में 82 एकड़ रकबे में सोयाबीन की बोनी हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर के माध्यम से की गई है। उन्होंने किसानों से खेत में नरवाई न जलाकर सीधे हैप्पी सीडर अथवा सुपर सीडर से बोनी करने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे नरवाई खेत में मल्च का कार्य करती है एवं बारिश के पानी से धीरे-धीरे सड़कर खाद में बदल जाती है। फसल आठ से दस दिन पूर्व पक कर तैयार हो जाती है तथा पकने की अवस्था में वर्षा आने पर खरपतवार नाशक दवा का उपयोग कर फसल सुखाने की आवश्यकता नहीं होती।बुआई के लिए यंत्र
किसानों को बताया कि हैप्पी सीडर अथवा सुपर सीडर से बोनी करने पर कम लागत में अधिक आय प्राप्त होती है। किसानों को हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर के कार्य करने के तरीकों की भिन्नता के बारे में बताया गया। बोरलॉग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहायक की ओर से किसानों को शून्य जुताई तकनीक के वैज्ञानिक पहलुओं, फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन एवं खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण के आधुनिक तरीकों की जानकारी दी गई। टीम में कृषि वैज्ञानिक डॉ.पंकज कुमार, राहुल मौर्य, कृषि विस्तार अधिकारी पुरुषोत्तम प्रजापति एवं सोनम जैन शामिल रहे।
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