दूध निर्यात को बढ़ाने की तैयारी
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक मंडल के सदस्य डॉ. जीएस राजोरिया ने देश के डेयरी उद्योग के विकास और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को पुख्ता करने में एनडीआरआई की भूमिका को अहम माना है। उनका कहना है कि विदेशी नस्ल की गायों की औसत दुग्ध उत्पादकता करीब 30 लीटर होती है, वहीं देसी गायों की उत्पादकता करीब 5 लीटर है, जिसे बढ़ाने के लिए काम प्रगति पर है।
उन्होंने ने कहा कि डेयरी सेक्टर से लगभा 80 मिलियन परिवारों की आजीविका जुड़ी है। यहां करीब 6.60 लाख लीटर दूध उपलब्ध है, जिसमें से 4.40 लाख लीटर की खपत होती है, शेष दूध को निर्यात करना है। ऐसे में इसकी गुणवत्ता को दुरुस्त बनाए रखने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि मिलावट रहित गुणवत्ता युक्त दूध के निर्यात से ही हम इस लक्ष्य को आसानी से पा सकते हैं। श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस कुरियन 103वें जन्मदिवस को आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान डॉ राजोरिया ने ये बातें कही हैं। विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर भी खुलकर विस्तार विचार विमर्श किया। वहीं प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता को बढ़ाने के साथ पशुओं में दुग्ध की उत्पादकता बढ़ाने का भी संकल्प लिया गया।
एनडीआरआई के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखला दक्षता और डेयरी उत्पादों में मूल्यवर्धन जैसी चुनौतियो से निपटने के लिए शोधकर्ताओं, किसानों और उद्योग जगत के हितधारकों के बीच परस्पर सहयोग का होना जरूरी है।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित आईसीएआर, नई दिल्ली के शासी निकाय के सदस्य कंवल सिंह चौहान ने डेयरी क्षेत्र में वैज्ञानिक नवाचार और व्यावहारिक कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाटने में आईसीएआर-एनडीआरआई जैसे अनुसंधान संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है।
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