डिजिटल निगरानी व समुद्री गणनाएं मत्स्य क्षेत्र को नई रफ्तार

मत्स्य पालन क्षेत्र की बेहतरी के लिए प्रशासन और राज्यों में समन्वय को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तीन क्षेत्रीय प्रबंधन परिषदें बनाई गई हैं। यह परिषदें समुद्री क्षेत्रों में अंतर-राज्यीय विवादों के समाधान और नीति समन्वय का काम करेंगी।
मत्स्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचे, संस्थागत सुधारों और डिजिटल निगरानी तंत्र को नया विस्तार दिया है। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि इसी वर्ष अप्रैल में 7 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 255 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। यह जानकारी राज्यसभा में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने दी।
उन्होंने बताया कि एक लाख फिशिंग वेसल्स पर स्वदेशी ट्रांसपोंडर सिस्टम लगाने की राष्ट्रीय योजना का भी ऐलान हो चुका है। इस योजना के तहत अब तक 33,674 ट्रांसपोंडर सफलतापूर्वक लगाए जा चुके हैं। यह योजना समुद्री सुरक्षा, संचार, और आपातकालीन सहायता में क्रांतिकारी सुधार लाने में मददगार साबित हो सकती है।
सरकार ने क्या-क्या किया?
पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समुद्री क्षेत्रों में अंतर-राज्यीय विवादों के समाधान और नीति समन्वय के लिए केंद्र सरकार की ओर से तीन क्षेत्रीय प्रबंधन परिषदें बनाई गई हैं। इसी दिशा में गुजरात ने भी 'गुजरात स्टेट फिशरीज हार्बर एंड एक्वाकल्चर डेवलेपमेंट अथॉरिटी' की स्थापना की है, जो राज्य में जलीय कृषि और बंदरगाह विकास को एकीकृत रूप से आगे बढ़ाएगा।
भारत सरकार ने समुद्री मत्स्य क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर समझने और योजनाओं की प्रभावी निगरानी के लिए "समुद्री मात्स्यिकी गणना 2025" की शुरुआत की है। यह ऐप-आधारित डिजिटल और जियो-रेफरेंस्ड प्रणाली से संचालित होगी। गुजरात में यह जनगणना 15 तटीय जिलों के 280 गांवों में फैले लगभग 70,000 मछुआरा परिवारों को लाभान्वित करेगी।
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