जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार चला रही यह योजनाएं

Aug 3, 2025 - 19:49
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जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए  सरकार चला रही यह योजनाएं

किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण उपज दिलाने के उद्देश्य से सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए केंद्र सरकार देशभर में कई योजनाएं चला रही हैं। इसको लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि सरकार वर्ष 2015-16 से देश में मृदा स्वास्थ्य और जल धारण क्षमता में सुधार के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास योजनाओं के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर जैविक खेती को प्रोत्साहन दे रही है। दोनों ही योजनाओं में जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन और विपणन तथा कटाई के बाद प्रबंधन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तक सभी प्रकार की सहायता देने पर बल दिया गया है और साथ ही टिकाऊ कृषि पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए तीन वर्षों की अवधि के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की कुल सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, डेटा प्रबंधन, भागीदारी गारंटी प्रणाली-भारत प्रमाणन, मूल्य संवर्धन, विपणन और प्रचार जैसे विभिन्न घटक सम्मिलित हैं। इसमें से किसानों को तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपये की सहायता ऑन-फार्म/ऑफ-फार्म जैविक निवेश के लिए प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण के माध्यम से प्रदान की जाती है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के अंतर्गत, किसान उत्पादक संगठन के निर्माण, जैविक निवेश, गुणवत्ता वाले बीज/रोपण सामग्री और प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और प्रमाणन के लिए किसानों को सहायता देने के लिए 3 वर्षों के लिए कुल 46,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से, योजना के अंतर्गत किसानों को 3 वर्षों के लिए 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से ऑफ-फार्म/ऑन-फार्म जैविक निवेश के लिए सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें किसानों को सीधे बैंक अंतरण के रूप में 15,000 रुपये और राज्य अग्रणी एजेंसी (राज्य अग्रणी एजेंसी) द्वारा किसानों को रोपण सामग्री के लिए 17,500 रुपये दिए जाते हैं।

भारत सरकार मृदा परीक्षण आधारित सिफारिश के आधार पर जैविक और जैव उर्वरक के साथ उर्वरक के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता तथा सतत उत्पादकता में सुधार के लिए जैविक और जैव उर्वरकों जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने के लिए “धरती माता के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम नामक योजना को लागू कर रही है। कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य सरकारों को जैविक और प्राकृतिक खेती तथा जैविक उर्वरकों को प्रोत्साहन देने के लिए उर्वरक सब्सिडी की बचत का 50 प्रतिशत तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने किण्वित जैविक खाद, तरल किण्वित जैविक खाद और जैविक उर्वरकों के उपयोग के लिए 1,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता की भी घोषणा की है।

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