तिलहनी बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार ने उठाए कदम

तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को संचालित कर रही है। इसकी जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य तिलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाना है। साथ ही कपास बीज, नारियल, चावल की भूसी और वृक्ष-जनित तिलहनों से खाद्य तेल के संग्रहण की दक्षता भी बढ़ाई जा रही है।
क्या-क्या कर रही सरकार
उन्नत अनुसंधान और बीज विकास: आइसीएआर ने कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 5 समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत 432 उच्च उपज देने वाली किस्में/हाइब्रिड (2014–2025 के बीच) विकसित और अधिसूचित की गईं:
तिलहन किस्में
सरसों 104 किस्में
सोयाबीन 95
मूंगफली 69
अन्य फसलों में अलसी, तिल, सूरजमुखी, अरंडी, रामतिल में भी बेहतर प्रगति हुई है। वहीं बीते पांच सालों में 1.53 लाख क्विंटल ब्रेडर बीज सार्वजनिक व निजी एजेंसियों को उपलब्ध कराया गया।
10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले 600 से अधिक क्लस्टरका एफपीओ और सहकारी समितियों के माध्यम से संचालन किया जा रहा है। उच्च गुणवत्ता वाले बीज मुफ्त, बेहतर कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण, मौसम व कीट प्रबंधन की सलाह, फसल कटाई के बाद की सुविधाओं के लिए वित्तीय सहायता
आइसीएआर व केवीकेएस और राज्य कृषि विभागों के द्वारा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन व आइईसी अभियान के माध्यम से लोगों में खाद्य तेलों की पोषण गुणवत्ता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में राज्यों के अनुसार सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सूरजमुखी, अरंडी, अलसी, कुसुम, रामतिल आदि को कवर किया गया है। साथ ही
राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विविधता के साथ बीमा कवरेज।
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