धान की ज्यादा पैदावार देने वाली उन्नत किस्में जारी

- केंद्रीय कृषि मंत्री ने जारी की दो जीनोम किस्में
धान की पैदावार बढ़ने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में देश में विकसित पहली दो जीनोम संपादित किस्में जारी की है। इस दौरान कृषि मंत्री ने दोनों किस्मों के अनुसंधान में योगदान के लिए वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया।
कृषि मंत्री ने बताया कि वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की गई चावल की दो नई किस्मों में से एक डीआरआर धान 100 कमला है, जिसे आईसीएआर-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है। वहीं दूसरी किस्म पूसा डीएसटी राइस 1 है, जिसे आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।
कृषि मंत्री ने बताया कि धान की नई उन्नत विकसित किस्में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए उपयुक्त हैं। इन क्षेत्रों में करीब 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में इन क़िस्मों की खेती की जा सकेगी। इससे धान के उत्पादन में 4.5 मिलियन टन की वृद्धि होगी। साथ ही ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 20 प्रतिशत यानि 3200 टन की कमी आएगी।
भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने एक बारीक दाने वाली सांबा महसूरी बीपीटी 5204 में दानों की संख्या बढ़ाने के लिए जीनोम संपादन से किया है। नई किस्म कमला अपनी मूल किस्म सांबा महसूरी बीपीटी 5204 की तुलना में बेहतर उपज, सूखा सहिष्णुता, नाइट्रोजन उपयोग में दक्ष और 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। अखिल भारतीय परीक्षण में डीआरआर धान 100 (कमला) की औसत उपज 5.3 टन प्रति हेक्टेयर पाई गयी जो साम्बा महसूरी (4.5 टन) से 19% अधिक है।
पूसा संस्थान, नई दिल्ली ने धान की किस्म जीन डीएसटी को संपादित कर नई किस्म डीएसटी राइस 1 का विकास किया है। यह सूखे और लवणता सहित कई अजैविक तनावों के प्रति संवेदनशील है। पूसा DST चावल 1 लवणता और क्षारीयता युक्त मृदा में एमटीयू 1010 की तुलना में 20% अधिक उपज देती है।
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