Gulab : सुंदरता के साथ औषधीय गुणों से परिपूर्ण है गुलाब

Aug 4, 2025 - 21:16
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Gulab : सुंदरता के साथ औषधीय गुणों से परिपूर्ण है गुलाब

गुलाब अपनी विशेषताओं के कारण अन्य फूलों से अलग नजर आता है। यह फूल दिखने में जितना आकर्षक होता है। उससे कहीं ज़्यादा उसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। गुलाब को सौंदर्य, सुगंध और खुशहाली का प्रतीक माना गया है। तभी तो इसे ‘पुष्प सम्राट’ की संज्ञा से नवाजा गया है और ‘गुले-आप’, यानी फूलों की रौनक भी कहा गया है। इसकी भीनीभीनी सुगंध, सुन्दरता, रंगों की विविध किस्मों के कारण हर प्रकृति प्रेमी इसे अपनाना चाहता है। देश में यह हर जगह उगाया जाता है। बागबगीचों, खेतों, पार्कों, सरकारी व निजी इमारतों के अहातों में, यहाँ तक कि घरों की ग्रह-वाटिकाओं की क्यारियों और गमलों में भी गुलाब उगा कर उस का आनंद लिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुलाब प्रेमियों के संगठन हैं, जो नई किस्मों के विकास, परिचिन्हन, मानकीकरण आदि करते हैं। इसके अनुसार पौधों की बनावट, ऊँचाई, फूलों के आकार आदि के आधार पर इन्हें निम्न वर्गों में बाँटा गया है। इसकी खेती मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्रा, बिहार, पश्चिम बंगाल ,गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्रा प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती हैI

खासियत

आमतौर पर गुलाब का पौधा ऊंचाई में 4-6फुट का होता है। तने में असमान कांटे लगे होते हैं। गुलाब की 5 पत्तियां मिली हुई होती है। बहुत मात्रा में मिलने वाला गुलाब का फूल गुलाबी रंग का होता है। गुलाब का फल अंडाकार होता है। इसका तना कांटेदार, पत्तियां बारी-बारी से घेरे में होती है। पत्तियों के किनारे दांतेदार होती है। फल मांसल बेरी की तरह होता है जिसे ‘रोज हिप’ कहते हैं। गुलाब का पुष्पवृन्त कोरिम्बोस, पेनीकुलेट या सोलिटरी होता है। 

खेती के लिए जलवायु और भूमि

गुलाब की खेती ठंडक के दिनों में की जाती हैI इसके लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट बेहतर माना जाता हैI इसकी खेती के लिएं दोमट मिट्टी तथा अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिएI जिसका पी.एच. मान 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है।

उन्नतशील प्रजातियां

गुलाब के फूल की करीब 6 तरह की प्रजातियां पाई जाती है पहली संकर प्रजातियां जिसमे क्रिमसन ग्लोरी, मिस्टर लिंकन, लवजान, अफकैनेडी, जवाहर, प्रसिडेंट, राधाकृषणन, फर्स्ट लव , पूजा, सोनिया, गंगा, टाटा सैंटानरी, आर्किड, सुपर स्टार, अमेरिकन हेरिटेज आदि हैI दूसरी पॉलीएन्था इसमे अंजनी, रश्मी, नर्तकी, प्रीत एवं स्वाती आदिI तीसरी फ़लोरीबण्डा जैसी कि बंजारन, देहली प्रिंसेज, डिम्पल, चन्द्रमा, सदाबहार, सोनोरा, नीलाम्बरी, करिश्मा सूर्यकिरण आदिI चौथी गैंडीफलोरा इसमे क्वींस, मांटेजुमा आदि। पांचवीं मिनीपेचर ब्यूटी क्रिकेट, रेड फ्लस, पुसकला, बेबीगोल्ड स्टार, सिल्वर टिप्स आदि और छठवीं लता गुलाब इसमे काक्लेट, ब्लैक बॉय, लैंड मार्क, पिंक मेराडोन, मेरीकलनील आदि पाई जाती हैI

खेतों की तैयारी

सुंदरता की दृष्टि से औपचारिक लेआउट करके खेत को क्यारियों में बाँट लेते है क्यारियों की लम्बाई चौड़ाई 5 मीटर लम्बी 2 मीटर चौड़ी रखते है। दो क्यारियों के बीच में आधा मीटर स्थान छोड़ना चाहिए। क्यारियों को अप्रैल मई में एक मीटर की गुड़ाई एक मीटर की गहराई तक खोदे और 15 से 20 दिन तक खुला छोड़ देना चाहिए। क्यारियों में 30 सेंटीमीटर तक सूखी पत्तियो को डालकर खोदी गयी मिट्टी से क्यारियों को बंद कर देना चाहिए साथ ही गोबर की सड़ी खाद एक महीने पहले क्यारी में डालना चाहिए इसके बाद क्यारियों को पानी से भर देना चाहिए साथ ही दीमक के बचाव के लिए फ़ालीडाल पाउडर या कार्बोफ्यूरान 3 जी. का प्रयोग करे। लगभग 10 से 15 दिन बाद ओठ आने पर इन्ही क्यारियों में कतार बनाते हुए पौधे व् लाइन से लाइन की दूरी 30 गुने 60 सेंटीमीटर रखी जाती है। इस दूरी पर पौधे लगाने पर फूलों की डंडी लम्बी व् कटाई करने में आसानी रहती है।

देखभाल

गुलाब के लिए सिंचाई का प्रबंधन उत्तम होना चाहिएI आवश्यकता के अनुसार गर्मी में 5 से 7 दिनों के बाद तथा सर्दी में 10 से 12 दिनों के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के मैदानी भागो में कटाई-छटाई हेतु अक्टूबर का दूसरा सप्ताह सर्वोत्तम होता है लेकिन उस समय वर्षा नहीं होनी चाहिए। पौधे में तीन से पांच मुख्य टहनियों को 30 से 40 सेंटीमीटर रखकर कटाई की जाती हैI यह ध्यान रखना चाहिए कि जहाँ आँख हो वहाँ से 5 सेंटीमीटर ऊपर से कटाई करनी चाहिए। कटे हुए भाग को कवकनाशी दवाओ से जैसे कि कापर आक्सीक्लोराइड, कार्बेन्डाजिम, ब्रोडोमिश्रण या चौबटिया पेस्ट का लेप लगना आवश्यक होता है।

फूलों की कटाई

सफ़ेद, लाल, गुलाबी रंग के फूलों की अध् खुली पंखुड़ियों में जब ऊपर की पंखुड़ी नीचे की ओर मुड़ना शुरू हो जायें तब फूल काटना चाहिए। फूलों को काटते समय एक या दो पत्तियां टहनी पर छोड़ देना चाहिए जिससे पौधों की वहाँ से बढ़वार होने में परेशानी न हो। फूलों की कटाई करते समय किसी बर्तन में पानी साथ में रखना चाहिए जिससे फूलों को काटकर पानी तुरंत रखा जा सकेI बर्तन में पानी कम से कम 10 सेंटीमीटर गहरा अवश्य होना चाहिए जिससे फूलों की डंडी पानी में डूबी रहे पानी में प्रिजर्वेटिव भी मिलाते हैI फूलों को कम से कम 3 घंटे पानी में रखने के बाद ग्रेडिंग के लिए निकालना चाहिए। यदि ग्रेडिंग देर से करनी हो तो फूलों को 1 से 3 डिग्रीसेंटीग्रेट तापक्रम पर कोल्ड स्टोरेज रखना चाहिए जिससे कि फूलों की गुणवत्ता अच्छी रह सकेI

आवश्यक सावधानियां

बरसात के मौसम में गमलों और क्यारियों में बहुत देर तक पानी भरा न रहने दें।

हर साल, पौधों की छंटाई कर, गमले के ऊपर की 2-3 इंच मिट्टी निकाल कर उस में उतनी ही गोबर की सड़ी खाद भर दें।

हर 2-3 साल के बाद सम्पूर्ण पौधे को मिट्टी सहित नए गमले में ट्रांसफर कर दें। चाहें तो गमले की मिट्टी बदल कर ताजा मिश्रण भरें। यह प्रक्रिया सितम्बर-अक्टूबर में करें।

स्रोत: ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान

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